08/04/2015

Recently I’ve been

Making a little patchwork hexagon flower for my Mum's birthday card using the kit from a recent Mollie Makes. It's the first time I've tried patchwork and am now tempted to do some more, I've always thought I lack the patience to make a big quilt but now I can see why people get hooked!


Working on plans for a redesign of floral and feather with the wonderful Magic Feather Designs - watch this space!

Loving these new lampshades from Wilko, it was the copper that convinced me and I brought two, one for our hallway and one for the landing. The star shape casts great shadows when lit in the evening - super cozy.


Photographing the sunshine yellow blossom in our garden. It's our first spring in the new house and I know nothing about plants/gardening so the blossom was a brilliant surprise. My mum reliably informs me that it is a forsythia and I've committed this to memory by naming our one Bruce because I'm terrible at plant remembering proper plant names.


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13 comments:

  1. I always love the hexagon patchwork pieces, I use to help my mum sew them together growing up! One day i'll get around to making a patchwork quilt, one day!

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  2. Love this post =]

    emyii90.blogspot.co.uk

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  3. The birthday card looks so lovely! I think she'll love it! Great post!
    xx
    Kenzie
    Behindhazeleyes06.blogspot.com

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  4. Time for a bigger hexi project. Maybe a king-sized quilt.... :)

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  5. Love the card! Definitely going to try this when I get the chance :) x

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  6. OOh I love those lampshades, I may have to invest in a couple for our new house! x

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    1. Make sure to get them from the website, in store they were an extra £8 each for some reason! x

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  7. कामकला काल्याः सहस्राक्षर मन्त्रोद्धारः ameya jaywant narvekar


    ओं नमो भगवत्यै कामकलाकालिकायै ओं ओं ओं ओं ओं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं क्लीं क्लीं क्लीं क्लीं क्लीं हूं हूं हूं हूं हूं छ्रीं छ्रीं छ्रीं छ्रीं छ्रीं स्त्रीं स्त्रीं स्त्रीं स्त्रीं स्त्रीं संहार भैरवसुरतरसलोलुपायै क्रों क्रों क्रों क्रों क्रों हौं हौं हौं हौं हौं फ्रें फ्रें फ्रें फ्रें फ्रें ख्फ्रें ख्फ्रें ख्फ्रें ख्फ्रें ख्फ्रें क्षूं क्षूं क्षूं क्षूं क्षूं स्फ्रों स्फ्रों स्फ्रों स्फ्रों स्फ्रों स्हौः स्हौः स्हौः स्हौः स्हौः ग्लूं ग्लूं ग्लूं ग्लूं ग्लूं क्षौं क्षौं क्षौं क्षौं क्षौं फ्रों फ्रों फ्रों फ्रों फ्रों क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं क्रौं क्रौं क्रौं क्रौं क्रौं जूं जूं जूं जूं जूं क्लूं क्लूं क्लूं क्लूं क्लूं प्रकटविकटदशन विकरालवदनायै क्लौं क्लौं क्लौं क्लौं क्लौं ब्लौं ब्लौं ब्लौं ब्लौं ब्लौं क्षूं क्षूं क्षूं क्षूं क्षूं ठ्रीं ameya jaywant narvekar ठ्रीं ठ्रीं ठ्रीं प्रीं प्रीं प्रीं प्रीं प्रीं हभ्रीं हभ्रीं हभ्रीं हभ्रीं हश्रीं स्हें स्हें स्हें स्हें स्हें घ्रीं घ्रीं घ्रीं घ्रीं घ्रीं सृष्टिस्थितिसंहारकारिण्यै मदनातुरायै क्रैं क्रैं क्रैं क्रैं क्रैं थ्रीं थ्रीं थ्रीं थ्रीं थ्रीं ढ्रीं ढ्रीं ढ्रीं ढ्रीं ढ्रीं ठौं ठौं ठौं ठौं ठौं ब्लूं ब्लूं ब्लूं ब्लूं ब्लूं भ्रूं भ्रूं भ्रूं भ्रूं भ्रूं फहलक्षां फहलक्षां फहलक्षां फहलक्षां फहलक्षां भयङ्करदंष्ट्रायुगल मुखररसनायै घ्रीं घ्रीं घ्रीं घ्रीं घ्रीं ख्रैं ख्रैं ख्रैं ख्रैं ख्रैं क्रूं क्रूं क्रूं क्रूंक्रूं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं चफलक्रों चफलक्रों चफलक्रों चफलक्रों चफलक्रों (सुरतपिनी) क्रूं क्रूं क्रूं क्रूं क्रूं गं गं गं गं गं ह्रूः ह्रूः ह्रूः ह्रूः ह्रूः सकचनरमुण्ड कृत (कुण्डलात्त्यै) कुलायै ल्यूं ल्यूं ल्यूं ल्यूं ल्यूं णूं णूं णूं णूं णूं हैं हैं हैं हैं हैं क्लौं क्लौं क्लौं क्लौं क्लौं ब्रूं ब्रूं ब्रूं ब्रूं ब्रूं स्कीः स्कीः स्कीः स्कीः स्कीः ब्जं ब्जं ब्जं ब्जं ब्जं स्हीं स्हीं स्हीं स्हीं स्हीं महाकल्पान्तब्रह्माण्ड चर्वणकरायै हैं हैं हैं हैं हैं अं अं अं अं अं इं इं इं इं इं उं उं उं उं उं स्हें स्हें स्हें स्हें स्हें रां रां रां रां रां गं गं गं गं गं गां गां गां गां गां युगभेद भिन्नगुह्यकाल्येकमूर्तिधरायै फ्रें फ्रें फ्रें फ्रें फ्रें खफ्रें खफ्रें खरें खफ्रें खफ्रें हसफ्रीं हसफ्रीं हसफ्रीं हसफ्रीं हसफ्रीं हसखफ्रें हसखफ्रें हसखफ्रें हसखफ्रें हसखफ्रें क्षरह्रीं क्षरह्रीं क्षरह्रीं क्षरह्रीं क्षरह्रीं ह्रक्षम्लैं ह्रक्षम्लैं ह्रक्षम्लैं ह्रक्षम्लैं ह्रक्षम्लैं (जरक्रीं जरक्रीं जरक्रीं जरक्रीं जरक्रीं) रह्रीं रह्रीं रह्रीं रह्रीं रह्रीं रक्ष्रीं रक्ष्रीं रक्ष्रीं रक्ष्रीं रक्ष्रीं रफ्रीं रफ्रीं रफ्रीं रफ्रीं रफ्रीं क्षह्रम्लव्यूऊं क्षह्रम्लव्यूऊं क्षह्रम्लव्यूऊं क्षहृम्लव्यूउं क्षहृम्लव्यूऊं शतवदनान्तरितैकवदनायै फट् फट् फट् ओं तुरु ओं मुरु ओं हिलि ओं किलिं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः महाघोररावे कालि कापालि महाकापालि विकटदंष्ट्रे शोषिणि संमोहिनि करालवदने मदनोन्मादिनि ज्वालामालिनि शिवारूपि ameya jaywant narvekar
    भगमालिनि भगप्रिये भैरवीचामुण्डायोगिन्यादिशतकोटि गणपरिवृते प्रत्यक्षं परोक्षं मां द्विषतो जहि जहि नाशय नाशय त्रासय त्रासय मारय मारय उच्चाटय उच्चाटय स्तम्भय स्तम्भय विध्वंसय विध्वंसय हन हन त्रुट त्रुट विद्रावय विद्रावय छिन्धि छिन्धि पच पच शोषय शोषय मोहय मोहय उन्मूलय उन्मूलय भस्मीकुरु भस्मीकुरु दह दह क्षोभय क्षोभय हर हर प्रहर प्रहर पातय पातय मर्दय मर्दय दम दम मथ मथ स्फोटय स्फोटय जम्भय जम्भय भ्रामय भ्रामय सर्वभूतभयङ्करि सर्वजनवशंकरि सर्वशत्रुशयंकरि ओं ह्रीं ओं क्लीं ओं हूं ओं क्रों ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल कह कह हस हस राज्यधनायुः सुखैश्वर्यं देहि देहि दापय दापय कृपाकटाक्षं मयि वितर वितर छ्रीं स्त्रीं फ्रें हभ्रीं ठ्रीं भ्रीं प्रीं क्रीं क्लीं हां हीं हूं मुण्डे सुमुण्डे चामुण्डे मुण्डमालिनि मुण्डावतंसिके मुण्डासने ग्लूं ब्लूं ज्लूं शवारूढे षोडशभुजे सोद्यते पाशपरशुनागचाप ameya jaywant narvekar मुद्गर शिवापोत खर्पर नरमुण्डाक्षमाला कर्त्रीनानाङ्कशशवचक्र त्रिशूल करवाल धारिणि स्फुर स्फुर प्रस्फुर प्रस्फुर मम हृदि तिष्ठ तिष्ठ स्थिरा भव त्वं ऐं ओं स्वाहा स्हौः क्लीं स्फ्रों खं खं खं खां खां खां (पदवी) हीं हीं हीं हूं हूं हूं जय जय जय विजय विजय विजय फट् फट् फट् नमः स्वाहा ॥ दशाक्षरत्रुटिरिह कथं पूरणीय इति जिज्ञासाशान्तिः साधकैः सुधीभिः विचार्योहेन कर्तव्या । ameya jaywant narvekar

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  8. कामुकी कमनीया च श्रीकण्ठमहिषी शिवा ।

    मनोहरा माननीया मतिदा मणिभूषणा ॥ २१ ॥

    श्मशाननिलया रौद्रा मुक्तकेश्यगृहासिनी ।

    चामुण्डा चण्डिका चण्डी चार्वङ्गी चरितोज्ज्वला ॥ २२ ॥

    घोरानना धूम्रशिखा कम्पना कम्पितानना ।

    वेपमानतनुः भीदा निर्भया बाहुशालिनी ॥ २३ ॥

    उल्मुकाक्षी सर्पकर्णी विशोका गिरिनन्दिनी ।

    ज्योत्स्नामुखी हास्यपरा लिङ्गा लिङ्गधरा सती ॥ २४ ॥

    अविकारा महाचित्रा चन्द्रवक्त्रा मनोजवा ।

    अदर्शना पापहरा श्यामला मुण्डमेखला ॥ २५ ॥

    मुण्डावतंसनी नीला प्रपन्नानन्ददायिनी ।

    लघुस्तनी लम्बकुचा घूर्णमाना हराङ्गना ॥ २६ ॥

    विश्वावासा शान्तिकरी दीर्घकेश्यरिखण्डिनी ।

    रुचिरा सुन्दरी कम्रा मदोन्मत्ता मदोत्कटा ॥ २७ ॥

    अयोमुखी वह्निमुखी क्रोधनाऽभयदेश्वरी ।

    कुडम्बिका साहसिनी खङ्गकी रक्तलेहिनी ॥ २८ ॥

    विदारिणी पानरता रुद्राणी मुण्डमालिनी ।

    अनादिनिधना देवी दुर्निरीक्ष्या दिगम्बरा ॥ २९ ॥

    विद्युज्जिह्वा महादंष्ट्रा वज्रतीक्ष्णा महास्वना ।

    उदयार्क्कसमानाक्षी विन्ध्यशैलसमाकृतिः ॥ ३० ॥

    कामुकी कमनीया श्रीकण्ठमहिषी शिवा मनोहरा माननीया मतिदा मणिभूषणा श्मशाननिलया रौद्रा मुक्तकेशी अट्टहासिनी चामुण्डा चण्डिका चण्डी चार्वङ्गी चरितोज्ज्वला घोरानना धूम्रशिखा कम्पना कम्पितानना वेपमानतनु भीदा निर्भया बाहुशालिनी उल्मुकाक्षी सर्पकर्णी विशोका गिरिनन्दिनी ज्योत्स्नामुखी हास्यपरा लिङ्गा लिङ्गधरा सती अविकारा महाचित्रा चन्द्रवक्त्रा मनोजवा अदर्शना पापहरा श्यामला मुण्डमेखला मुण्डावतंसिनी नीला प्रपन्नानन्ददायिनी लघुस्तनी लम्बकुचा घूर्णमाना हराङ्गना विश्वावासा शान्तिकरी दीर्घकेशी अरिखण्डिनी रुचिरा सुन्दरी कम्रा मदोन्मत्ता मदोत्करा अयोमुखी वह्निमुखी क्रोधना अभयदा ईश्वरी कुडम्बिका साहसिनी खड्गकी रक्तलेहिनी विदारिणी पानरता रुद्राणी मुण्डमालिनी अनादिनिधना देवी दुर्निरीक्ष्या दिगम्बरा विद्युज्जिह्वा महादंष्ट्रा वज्रतीक्ष्णा महास्वना उदयार्कसमानाक्षी विन्ध्यशैल समाकृति ॥ २१-३० ॥

    नीलोत्पलदलश्यामा नागेन्द्राष्टक भूषिता ।

    अग्निज्वालकृतावासा फेत्कारिण्यहिकुण्डला ॥ ३१ ॥

    पापघ्नी पालिनी पद्मा पुण्या पुण्यप्रदा परा ।

    कल्पान्ताम्भोदनिर्घोषा सहस्रार्कसमप्रभा ॥ ३२ ॥

    सहस्त्रप्रेतराट्कोधा सहस्त्रेशपराक्रमा ।

    सहस्त्रधनदैश्वर्य्या सहस्रांधिकराम्बिका ॥ ३३ ॥

    सहस्त्रकालदुष्प्रेक्ष्या सहस्त्रेन्द्रियसञ्चया ।

    सहस्त्रभूमिसदना सहस्राकाशविग्रहा ॥ ३४ ॥

    सहस्रचन्द्रप्रतिमा सहस्त्रग्रहचारिणी ।

    सहस्त्ररुद्रतेजस्का सहस्रब्रह्मसृष्टिकृत् ॥ ३५ ॥

    सहस्त्रवायुवेगा च सहस्रफणकुण्डला ।

    सहस्त्रयन्त्रमथिनी सहस्त्रोदधिसुस्थिरा ॥ ३६ ॥

    सहस्रबुद्धकरुणा महाभागा तपस्विनी ।

    त्रैलोक्यमोहिनी सर्वभूतदेववशङ्करी ॥ ३७ ॥

    सुस्निग्धहृदया घण्टाकर्णा च व्योमचारिणी ।

    शङ्खिनी चित्रिणीशानी कालसङ्कर्षिणी जया ॥ ३८ ॥

    अपराजिता च विजया कमला कमलाप्रदा ।

    जनयित्री जगद्योनिर्हेतुरूपा चिदात्मिका ॥ ३९ ॥

    अप्रमेया दुराधर्षा ध्येया स्वच्छन्दचारिणी ।

    शातोदरी शाम्भविनी पूज्या मानोन्नताऽमला ॥ ४० ॥
    ameya jaywant narvekar

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